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गेंदा फूल की खेती से किसान कमाया बेहतर मुनाफा

भांवरकोल : भारत में प्राचीन काल से ही फूलो का उत्पादन किया जा रहा है | किन्तु उस समय में फूलो को सिर्फ निजी उपयोग के लिए उगाते थे | जिसमे लोग पूजा पाठ व धार्मिक अनुष्ठानो में फूलो का उपयोग करते थे | किन्तु वर्तमान समय में फूलो का इस्तेमाल पूजा पाठ तक ही सिमित नहीं रह गया है, लोग आज फूलो का उपयोग घर, ऑफिस, शादी, जन्मदिन व सालगिरह के मौके पर सजावट के कार्यो को करने के लिए इस्तेमाल करते है | जिस वजह से फूलो का उत्पादन व्यापारिक तौर पर भी किया जाने लगा है |आधुनिक समय मे कई सफल किसान खेती करके बहुत अच्छा मुनाफा कमा रहे है। इन सफल किसानों की सूची में सर्वेश राय का नाम शामिल है। जो भांवरकोल ब्लाक क्षेत्र के शेरपुर खुर्द गाव के रहने वाले है।दो वर्ष पहले वह पारम्परिक खेती मटर ,गेहू मिर्चा,टमाटर खेती करते थे।लेकिन फसल उम्मीद के अनुरूप उत्पादन नही और औने पौने दाम पर बिक्री व बाढ़ आ जाने से फसल बर्बाद हो जाती थी।जिससे काफी निराश होती थी। उसके बाद नई फसल लगाने का मन बनाया।उसी दौरान कृषि विशेषज्ञ द्रारा गेंदा फूल की खेती करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।और गेंदा फूल की खेती करने का मन बनाया। और परिवार के सदस्यों ने हामी भरी।और सब्जी की खेती छोड़ गेंदा फूल की खेती करने लगे। बता दे शेरपुर के क्षेत्र सब्जी के हब के तौर पर जाना जाता है।लेकिन अब गेंदा की खेती करने से सर्वेश राय को क्षेत्र में अलग पहचान मिलने लगी है।इसका पूरा श्रेय प्रगतिशील किसान सर्वेश राय को जाता है।

गेंदा की खेती से मुनाफा

किसान को स्थानीय बाजार में गेंदा फूल की माला का 20 से 25 रुपया मिल जाता है।जिससे काफी अच्छा मुनाफा होता है। इसके अलावा स्थानीय व्यापारी 40 से 45 रुपये आकर ले जाते है।जबकि लखनऊ के बाजार में 100 से 150 रुपये प्रति किलो भेजे। जिससे लाखो की कमाई किए। इस तरह राज्य सरकार से किसान पारम्परिक खेती के साथ फूलो खेती कर अपने जीवन मे सुगंध बिखेर जीवन को संवार रहे है।अगली बार पाँच बीघा में गेंदा फूल की खेती करेगे।साथ मे और किसान फूल की खेती करने का मन बनाया है।

ऐसे मंगाए नर्सरी

प्रगतिशील किसान सर्वेश राय ने कोलकाता से फूल का उन्नत नर्सरी मंगवाई थी। इसके साथ ट्यूबल से सिंचाई का प्रबंध कर रखा है।किसान का कहना है कि वह 14 बिश्वा में गेंदा फूल का खेती किए है।जो नर्सरी सितम्बर अक्टूबर में लगाए थे। जिनकी कुल लागत लगभग 10 हजार से भी कम आया था।जिसमे नर्सरी ,निराई गुड़ाई सिचाई खाद आदि शामिल है। नर्सरी लगाने के प्रश्न पर बताया कि साल तीन बार फरवरी -मार्च,जून- जुलाई, सिम्बर अक्टूबर में लगाया जा सकता है।गर्मियों में एक सप्ताह पर जबकि जाड़े में लगभग 15 दिन पर सिचाई की जाती है।इसमे कीटनाशक दवाई ,खाद का प्रयोग बहुत कम होता है। श्री राय ने बताया की कम पानी और कम लागत में खेती किए है। और लाखो आमदनी किए है।