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परमात्मा तो आनन्द और करूणा के सागर है:राजन जी महाराज

गाजीपुर:आप के जीवन में यदि भगवान रूपी सूर्य का उदय हो गया तो जीवन से अंधकार रूपी दुर्भाग्य का तत्क्षण नाश हो जाता है और यह तभी संभव है

जब हम प्रभु के श्रीचरणों का सदैव स्मरण रखते हुए उनसे अलौकिक प्रेम करें क्योंकि जिस प्रेम में भगवान से कुछ मांगने की इच्छा समाप्त हो जाए तब वह प्रेम अलौकिक प्रेम बन जाता है, उक्त बातें स्थानीय नगर के लंका मैदान में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवे दिन श्रीसीताराम विवाह एवं छप्पन भोग महोत्सव प्रसंग पर कथा करते हुए कथा सम्राट मानस मर्मज्ञ पूज्य श्री राजन जी महाराज ने कही, श्रीराम कथा में आज के मुख्य सपत्नीक यजमान गण श्री राकेश जायसवाल एवं श्री अनिल वर्मा द्वारा संयुक्त रूप से व्यासपीठ, पवित्र रामचरितमानस एवं कथा मंडप की आरती उपरांत आरम्भ हुयें कथा को दैनिक विश्राम देते हुए पूज्य महाराज ने बताया कि परमात्मा तो आनन्द के समुद्र, करूणा के सागर और विशाल हृदय वाले हैं वह व्यक्ति के दोषों को देखें बिना सदैव उसे जीवन पर्यन्त कुछ न कुछ देने को सदैव तत्पर रहते हैं इसलिए भगवान से कुछ मांगिए मत सिर्फ उनसे प्रेम कीजिए वे सर्वज्ञ हैं वह सबकुछ जानते हैं बिन मांगे वो आपको सबकुछ दे सकते हैं। भगवान श्री राम के अद्भूत विवाह कथा उपरांत छप्पन भोग के साथ सम्पन्न हुये कथा के अवसर पर कथा पंडाल में कथा समिति के सदस्य श्री आलोक सिंह, सुधीर श्रीवास्तव, शशिकांत वर्मा, संजीव त्रिपाठी, राकेश जायसवाल, आकाशमणि त्रिपाठी, दुर्गेश श्रीवास्तव, आशीष वर्मा, मंजीत चौरसिया, अनिल वर्मा,अमित वर्मा, सुजीत तिवारी, राघवेंद्र यादव, कमलेश वर्मा, मीडिया प्रभारी पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष दीपक उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रौता उपस्थित रहे।