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श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ शेरपुर में कलश यात्रा कल

श्रीमद भागवत कथा:श्रीमद भागवत कथा में श्रीकृष्ण- रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया

 

भावरकोल: क्षेत्र के शेरपुर कला व्यामाशाला परिसर में आयोजित नौ दिवसीय श्री  लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के पूर्व संध्या भागवत कथावाचक साध्वी सीता सहचरी जी ने उधव चरित्र, महारासलीला व रुक्मिणी विवाह का वर्णन किया। कथावाचक ने कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धजकर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गईं। कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं। उन सभी गोपियों के मन में कृष्ण के नजदीक जाने, उनसे प्रेम करने का भाव तो जागा, लेकिन यह पूरी तरह वासना रहित था। इसके बाद भगवान ने रास आरंभ किया। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ। रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुऐ कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया। मौके पर आयोजक मंडली की ओर से आकर्षक वेश-भूषा में श्रीकृष्ण व रुक्मिणी विवाह की झांकी प्रस्तुत कर विवाह संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया। कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर यज्ञाधीश कन्हैया दास महाराज ने बताया की 10 फरवरी को कलश यात्रा निकाली जाएगी। जो शेरपुर गंगा घाट पर गाजे बाजे के साथ जलभरी की जाएगी।उसके बाद नौ दिवसीय यज्ञ का प्रारम्भ हो जाएगी।इस अवसर पर यज्ञ सरंक्षक सजंय जी महाराज ,शिक्षक ओमप्रकाश राय, विक्रमा राय, मारकण्डेय पांडेय, प्रेमप्रकाश मिश्रा, रामजी गुप्ता ,शिवशंकर यादव, डिम्पल राय आदि लोग मौजूद रहे।