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राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में हास्य -व्यंग्य के बीच बही देशभक्ति की सरिता

(दैनिक फॉर मीडिया-रिपोर्ट अजय कुमार यादव)

भांवरकोल:क्षेत्र के शेरपुर गाव में आयोजित निराला विद्यालय परिसर में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन बुधवार को सकुशल सम्पन्न हो गया।देर रात तक चले इस आयोजन मे कवियों ने हास्य श्रृंगार वीर रस से श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यअतिथि सीईओ एवं एडिटर इन चीफ सहारा न्यूज नेटवर्क के उपेंद्र राय विशिष्ट अतिथि प्रधान संपादक एस्ट्रोलॉजी टुडे के आचार्य पवन त्रिपाठी व क्षेत्रीय विद्यायक अलका राय ने माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर की।

बुधवार की सर्द रात जैसे -जैसे जवान होती गयी।कवि सम्मेलन पुरे शबाब पर पहुच गया।श्रृंगार की कविताओ पर तालिया बजी तो हास्य पर खूब ठहाके भी लगे।वीर रस की कविताओं पर शहीदी धरती के लोगो ने खूब वाह-वाह किया।रात्रि के अंतिम प्रहर तक कविता प्रेमी टस से मस नही हुए।

कविता पाठ का शुभारंभ डॉ0 पूनम वर्मा ने सरस्वती की वंदना से कवि सम्मेलन को औपचारिक शुरुआत दी।उन्होंने कहा कि तुम्हारी शरण में आज हम सब आ गए है माँ,हमे कविता के चरणों को लिए वरदान दे दो माँ।जिसे सुनकर वहा पर उपस्थित श्रोता माँ शारदा की भक्ति में डूब गए।अभय निर्भीक ने अपनी मुक्तो से देशभक्ति की लहर दौड़ा दी।कहा जब भी शीश वतन ने मांगा दान कर आते है।अपनी घर की सारी सुख सुबिधा जो ज्यादा करते है।रात रात भर सीमाओं पर जागा करते है।

हाशमी फिरोजाबादी ने समाजिकता का सन्देश देते हुए कहा कि मैं ना जापानवाला हूँ ना पाकिस्तान वाला हूँ, वतन पर जो जान लुटा दू वह ईमान वाला हूँ।

हास्य कवि अनिल चौबे ने हास्य व्यंग्य के जरिये श्रोताओं को हंसने पर मजबूर कर दिया।नया नया जब टीवी खरीदा गया,हाथ में रिमोट लेकर पसर गये बाबू जी,चार बजे भोर में धर्म की बात शुरू आस्था की नदी में उतर गए बाबू जी।

प्रयागराज से आयी वंदना ने संक्षिप्त में कविता के माध्यम से प्रयागराज का दर्शन कराया संस्कृति है जिसकी माटी श्रद्धा समान है,पावन पुनीत संगम गंगा की धार है।

कानपुर से आए हेमंतपांडेय ने अपने कविता के माध्यम से अपनी शादी की हास्य व्यंग्य में से व्याख्या किया।

सुनील व्यास बॉम्बे ने दर्शको को हसने पर मजबूर कर दिया। कथा कहते हुए कहा कि बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में एक गरीब बाह्मण रहता था।वह हम ही है।

बलराम श्रीवास्तव ने गीत से समा बांध दिया तन है दोहावली मन विनय पत्र का तन है दोहावली, लो समर्पित तुम्हे शब्द भावजंली

अंत में संचालन कर रहे विनीत चौहान ने युवाओ में जोश भर कर देशभक्ति और मातृभूमि की रक्षा के लिए आगे आने का आह्वान किया।कहा कि सौहार्द से चले थे,हिमाकत तक आ गए,लेकर तिरंगे से बगावत तक आ गए।

सरकार से लड़ो लग रहा मुल्क खिलाफत पर आ गए।इस मौके पर दूर दराज से हजारो दर्शको सुनने के लिए आये थे।जो पूरा पंडाल भर गया था।इस मौके पर अतिथियो को माला पहनाकर स्मृतिचिन्ह एवं अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।

इसके पूर्व मुख्यअतिथि उपेंद्र राय ने कहा कि इस गाव की मिट्टी से पैदा हुआ हूँ।और ऐसी विद्यालय में पढ़ा और बचपन से लेकर अब तक की मेरी सारी स्मृतिया कर्म भूमि जन्म भूमि से दोनों जुडी हुई है। आगे भी ऐसे बसन्त पंचमी के आस पास कवि सम्मेलन होगा और अन्य दिग्गज कवियों को जोड़ा जाएगा।

अध्यक्षता नन्द उपाध्धाय ने किया।अंत में आए हुए सभी आंतुगको के प्रति संयोजक ओमप्रकाश राय ने आभार प्रगट किया ।

इस मौके पर पूर्व विधायक पशुपतिनाथ राय,नरेंद्र राय,पंकज राय निक्कू,शालीन राय, मनीष कुमार राय, ओमप्रकाश राय, दामोदर राय, भानुप्रकाश राय, श्यामनारायण राय, बुच्चु बाबा, शास्वत उपाध्याय , शिवविनय राय,डॉ0 सत्यानन्द राय, मिथलेश राय,ऋषि राय बालानाथ राय, बालाजी राय आशीष राय सिन्टू,जयानन्द राय मोनू,डॉ0 प्रशांत राय, जयप्रकाश राय आदि लोग मौजूद रहे।